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Monday, 6 January 2014

जिन्दगी ने बहुत कुछ सिखा दिया

गरीब दूर तक चलता है, खाना खाने के लिए,

अमीर मीलों चलता है, खाना पचाने के लिए I


कीसी के पास खाने के लिये एक वक्त की रोटी नहीं है, 


कीसी के पास रोटी खाने के लिए वक़्त ही नहीं है I

कोई लाचार है इस लिए बीमार है, कोई बीमार है इस लिये लाचार है,

कोई अपनों के लिए रोटी छोड देता है, कोई रोटी के लिए अपनों को छोड़ देता है I

ये दुनीया भी कितनी निराली है दोस्तों कभी वक़्त मीले तो सोचना I

कभी छोटी सी चोट लगने पे रोते थे, आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते हैं I

पहेले हम दोस्तों के सहारे रहते थे, आज दोस्तों की यादो मे रहते हैं I

पहले लड़ना मनाना रोज़ का काम था, आज एक बार लड़ते ही तो रिश्ते खो जाते हैं I

सच में


जिन्दगीने बहुत कुछ सिखा दिया, जाने कब हम को इतना बड़ा बना दिया I

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