काम करते हुए मज़दूरों को
श्रम के शूरवीरों को
जिनकी लिखी हुई तक़दीरों में
चौराहे पर होती
श्रम की नीलामी को
अक्सर देखा है
जिनकी लिखी हुई तक़दीरों में
चौराहे पर होती
श्रम की नीलामी को
अक्सर देखा है
नींव खोदते हुए हाथ
गिट्टी तोड़ते हुए हाथ
दहकती दुपहरी में
पसीने से लथपथ
गमछे से बार-बार
मुँह पोंछते हुए
प्यास से सूखता हुआ गला
कोल्ड ड्रिंक पीता हुआ ठेकेदार
प्यासे होंठों पर जीभ फिराकर
उन्हें तर करने का असफल प्रयास
पर प्यास तो बुझती ही नहीं
आखिर बुझे भी तो कैसे
बार-बार पानी पिया तो
मेट की डाँट पड़ने का ख़तरा
अक्सर देखा है
गिट्टी तोड़ते हुए हाथ
दहकती दुपहरी में
पसीने से लथपथ
गमछे से बार-बार
मुँह पोंछते हुए
प्यास से सूखता हुआ गला
कोल्ड ड्रिंक पीता हुआ ठेकेदार
प्यासे होंठों पर जीभ फिराकर
उन्हें तर करने का असफल प्रयास
पर प्यास तो बुझती ही नहीं
आखिर बुझे भी तो कैसे
बार-बार पानी पिया तो
मेट की डाँट पड़ने का ख़तरा
अक्सर देखा है
स्लैब ढालते हुए
तसले ढोते हुए
मौरंग और सीमेंट
सीमेंट की रगड़ से
हाथों व पैरों की
अँगुलियों की पोरों से
खून का रिसना
अक्सर देखा है
तसले ढोते हुए
मौरंग और सीमेंट
सीमेंट की रगड़ से
हाथों व पैरों की
अँगुलियों की पोरों से
खून का रिसना
अक्सर देखा है
कडाके की धूप
तसला ढोती हुए महिला
पीठ पर बँधा गमछा
गमछे में नवजात
इधर उधर टुकुर-टुकुर देखता
घास में भूख से बिलखते
कलेजे के टुकड़े
असहाय मज़दूर माँ
अफ़सोस इस समय
वो कैसे पिलाये दूध
नग्न आँखों से घूरता हुआ मेट
अक्सर देखा है
तसला ढोती हुए महिला
पीठ पर बँधा गमछा
गमछे में नवजात
इधर उधर टुकुर-टुकुर देखता
घास में भूख से बिलखते
कलेजे के टुकड़े
असहाय मज़दूर माँ
अफ़सोस इस समय
वो कैसे पिलाये दूध
नग्न आँखों से घूरता हुआ मेट
अक्सर देखा है
कब आएगा उनका समय
कब बहुरेंगे उनके दिन
अपने अनुरोध पर
एक मशहूर सीमेंट कपनी नें
काफी मज़दूरों का
बीमा तो कराया
पर बहुत अभी बाकी हैं
कौन कराएगा उनका बीमा
कौन दिलाएगा उन्हें
सुरक्षा सहूलियतें
व सिक्योरिटी उपकरण
कब आएगा वो दिन
आगे देखना है...
आगे आगे देखना है...
कब बहुरेंगे उनके दिन
अपने अनुरोध पर
एक मशहूर सीमेंट कपनी नें
काफी मज़दूरों का
बीमा तो कराया
पर बहुत अभी बाकी हैं
कौन कराएगा उनका बीमा
कौन दिलाएगा उन्हें
सुरक्षा सहूलियतें
व सिक्योरिटी उपकरण
कब आएगा वो दिन
आगे देखना है...
आगे आगे देखना है...